ऋग वेद से जुड़ा हुआ है मालपुए का इतिहास


वेद में भी मिलता है इस स्वादिष्ट पकवान का वर्णन


Indian ancient cuisine
Malpua

मालपुआ नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। यह घर में आसानी से बनने वाला सबसे स्वादिष्ट पकवान है। यह हर क्षेत्र व धर्म के लोगों के बीच लोकप्रिय है। हां, क्षेत्र के हिसाब से इसके बनाने की विधि में जरूर थोड़ा बहुत बदलाव हो जाता है, लेकिन इसका जायका हर किसी को भाता है। 
होली, दिवाली व ईद को बना देता है यादगारः- 

Holi Celebration with Malpua


बिहार में तो यह हर पर्व त्योहार और समारोह का अटूट हिस्सा है। इसी तरह से पूर्वी व उत्तर भारत के राज्यों के साथ ही नेपाल, बांग्लादेश व पाकिस्तान में भी यह बेहद लोकप्रिय है। इसकी लोकप्रियता का एक बहुत बड़ा कारण है कि किचन में उपलब्ध सामग्री से कम समय में इसे आसानी से तैयार किया जा सकता है और इसका स्वाद भी महंगी मिठाई से कम नहीं होता है। गरीब से लेकर अमीर तक हर कोई अपने घर में इसे बना सकता है।  

इस ब्लॉग में हम मालपुए के इतिहासइसके धार्मिक महत्वबनाने की विधि, भारत के विभिन्न हिस्सों व पड़ोसी देशों में इसकी लोकप्रियता के बारे जानकारी हासिल करेंगे। 

ऋग वेद से जुड़ा हुआ है मालपुए का इतिहासः-

मालपुए को सबसे पुरानी भारतीय मिठाई कहें तो गलत नहीं होगा, क्योंकि इसका वर्णन ऋग वेद में भी है। ऋग वेद में इसका वर्णन अपुपा नाम से है। इसे जौ से बनाया जाता था। जौ के आटे से बने केक को घी में फ्राई करके या फिर पानी में उबालकर यह बनता था जिसे शहद में डूबाकर परोसा जाता था। 
Rigveda

ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में पुपालिक के नाम से था प्रसिद्धः-
ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में यह वैदिक व्यंजन को पुपालिक नाम से जाना जाने लगा। तब तक इसके बनाने की विधि में भी बदलाव हो गया था। उस दौरान जौ की जगह गेहूं के आटे या फिर चावल के आटे से इसे बनाया जाता था। स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें दूधइलायची आदि मिलाने की शुरुआत भी उसी दौर में होने के प्रमाण मिलते हैं। उस दौर में आटे का केक बनाकर इसे गुड़ की चासनी में डूबाया जाता था। बहुत कुछ इसी रूप में आज भी यह आम घरों में बनाया जाता है। 
भगवान को लगाया जाता है मालपुए का भोगः-
मंदिरों में मालपुए का प्रसाद भी चढ़ाया जाता है। इसी तरह से घरों में होने वाले पूजा में भी पुआ का प्रसाद बनता है। प्रसिद्ध जगन्नाथपुरी मंदिर में सुबह भगवान को मालपुए का भोग लगाया जाता है। भगवान के छप्पन भोग का भी यह एक भाग है। 
बांग्लादेश में फलों से बनता है स्वादिष्ट व्यंजनः-
बांग्लादेश और भारत के भी कुछ हिस्से में मालपुआ बनाने में फल विशेषकर केले का प्रयोग किया जाता है। आटा व दूध के साथ केला मिलाकर मालुपए का पेस्ट बनाया जाता है। 

पाकिस्तान में बनता है अंडे वाला मालपुआः-
समय के साथ मालपुआ बनाने की विधि में भी काफी बदलाव आया है। अलग-अलग संस्कृतियों का भी इस भारतीय पकवान पर असर पड़ा है। इस्लामिक दौर में इसे नया रूप दिया गया। पाकिस्तान में आज भी अंडे व मावे वाला मालपुआ खूब पसंद किया जाता है।
Egg Malpua

मटन व चिकन करी के साथ भी है खाने का रिवाजः-
देश के कई हिस्से में इसे चीनी की चाश्नी में डुबोकर तैयार किया जाता है। वहीं, बिहार में परंपरागत रूप से इसे चीनी की चाश्नी में नहीं डूबाया जाता है। इसे पुआ कहते हैं। सब्जी या चटनी के साथ इसे खाया जाता है। कई लोग इसे खास करके होली में मटन व चिकन करी के साथ भी खाते हैं।   
भोजन के बाद परोसा जाने वाला डेजर्टः-
राजस्थान सहित उत्तर भारत के अन्य हिस्से में मालपुआ को भोजन के बाद मिठाई के तौर पर परोसा जाता है। घरों में बनाने के साथ ही अब दुकानों में भी इसकी बिक्री होने लगी है।  

मालपुआ बनाने की विधिः-

इसे बनाने की कई विधि है। इसमें प्रयोग होने वाली सामग्री भी क्षेत्र व विधि के अनुसार बदल जाती है। 

 यहां हम आटे से बनाने वाले मालपुए की विधि बताएंगे। अन्य रेसिपी की जानकारी आने वाले ब्लॉग में दी जाएगी।  


दो से चार व्यक्ति के लिएः-

जरूरी सामग्रीः-  
एक कप (लगभग 125 ग्राम) आटा, आधा कप चीनी, एक बड़ा चम्मच नारियल का बूराआधा चम्मच सौफ व इलायची का पाउडरएक कप दूध व जरूरत के अनुसार पानी। तलने के लिए घी या सोयाबीन का तेल। 

पेस्ट तैयार करें-
सबसे पहले दूध को गर्म करके इसे ठंडा कर लें और इसमें चीनी मिला दें। जब चीनी ठीक से घुल जाए तो इसे आटा व  नारियल के बूरा वाले मिश्रम में डालकर पेस्ट तैयार करें। पेस्ट न तो बहुत गाढ़ा होना चाहिए और न पतला। यदि दूध कम पड़ रहा हो तो जरूरत के अनुसार पानी मिलाकर पेस्ट बनाएं।  

मध्यम आंच पर तलेंः-
गैस के मिडियम फ्लेम पर कड़ाही में घी या तेल डालकर गर्म करें। इसके बाद बड़ा चम्मच से पेस्ट को गोल आकार में डालकर सुनहरा होने तक दोनों तरफ से फ्राई करें। 

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